सोमवार, 18 मई 2015

तहजी़ब

सुना है तहजी़ब का तराजू बहुत सस्ता बिका है अहले वतन में।
सरेआम उछाल देते हैं इज्जत वो जिन्होनें जहालत कर रखी है॥

#Prestitutes #Intolrance #BreakingNewsNonSense

रिश्ते

उम्र तन्हा हीं क्यों नहीं गुजर जाती 'निश्छल'
कम-से-कम रिश्तों कि फजीहत तो नहीं होती!

#BondOfFamily #BondOfLove

रविवार, 17 मई 2015

कमाई

इश्क और मुश्क छुपाए छूपता नहीं गोया,
ग़र हमनें कमाया होता तो तुमको पता नहीं होता?
नींद और चैन नहीं आते राह-ए-इश्क में 'निश्छल',
ग़र हमनें गँवाया होता तो तुमको पता नहीं होता?

शनिवार, 16 मई 2015

उलझे सपने

यूँ तो मेरे ख्वाबगाह में रक्खे हैं कई उलझे हुए सपने
चाँद आता है पूनम कि रात में, कोई उनमें से सुलझ जाता है।
फिर शुरू होती है अमावस से लुका-छीपी
और हर रात कुछ नया फिर उलझ जाता है॥

यूँ सुलझने-उलझने में जिन्दगी इस तरह बीती है
कि अपने हालात पे भी तरस आता है।
टकटकी बाँध के निहारा करता हूँ सितारों को फिर
बस उनका ही साथ समझ आता है॥

मेरी इन पंक्तियों को विस्तार कुछ इस तरह मिला:
[साभार: Kastoor: the fragrance within by कुन्जेश कौशिक ]

तेरी याद में बदस्तूर भटकता हूँ मैं अब
जैसे कि भुलभूलैया में कोई राही अटक जाता है।
तेरी आस मेरी साँसों से यों रूठ बैठी है
जैसे जुल्फों से कोई मोती झटक जाता है॥

फिसलती रेत को मुठ्ठियों में कैद करना मुमकीन न था
जाने क्यूँ हर बार सन्नाटा मेरे दिल में बैठ जाता है।
मेरे ख्वाब, मेरी रूह, मेरे जिस्म के वो घाव
हर बार वक्त मेरे दिल कि धड़कने ऐंठ जाता है॥

अब तो दिन के ये आलम हैं कि हवा का हर झोंका
मेरी साँसों को परख जाता है।
हर बार छुपाकर रखता हूँ मैं दिल अपना
कमबख्त हर बार कोई जान हथेली पर रख जाता है॥

यूँ तो मेरे ख्वाबगाह में रक्खे हैं कई उलझे हुए सपने
चाँद आता है पूनम कि रात में, कोई उनमें से सुलझ जाता है।
फिर शुरू होती है अमावस से लुका-छीपी
और हर रात कुछ नया फिर उलझ जाता है॥

यूँ सुलझने-उलझने में जिन्दगी इस तरह बीती है
कि अपने हालात पे भी तरस आता है।
टकटकी बाँध के निहारा करता हूँ सितारों को फिर
बस उनका ही साथ समझ आता है॥

शुक्रवार, 1 मई 2015

चराग

दिल में जलाओ चराग 'निश्छल', फिर हसीन हर नज़ारा होगा।
खुदाया खैर करे! जो फिर चेहरे पे यार के नूर का ईज़ाफा होगा॥

#TheLuckyFriday #SomeOnesSweetStory #MayDay