सोंचा था कि चाँदनी से रौशन कभी हमारा भी आँगन हो ।
पर अपने हक़ में तो बस तारों का टिमटिमाना है ॥
खिले थे फूल गुलशन में, था मौसम बहारों का ।
हवा के थपेड़ों ने हमें भेजा, वही पतझड़ पुराना है ॥
जले थे चराग बनकर हम, न जाने कितनी दयारों पर ।
जुगनुओं कि किस्मत में तो बस अंधेरे चुराना है ॥
दुआएँ माँगी थी दिल से, हमनें भी मजारों पर ।
क्या उनकी सुनता नहीं मौला, जो जगमगाते हैं ?
#TwinkleTwinkleLittleStar
पर अपने हक़ में तो बस तारों का टिमटिमाना है ॥
खिले थे फूल गुलशन में, था मौसम बहारों का ।
हवा के थपेड़ों ने हमें भेजा, वही पतझड़ पुराना है ॥
जले थे चराग बनकर हम, न जाने कितनी दयारों पर ।
जुगनुओं कि किस्मत में तो बस अंधेरे चुराना है ॥
दुआएँ माँगी थी दिल से, हमनें भी मजारों पर ।
क्या उनकी सुनता नहीं मौला, जो जगमगाते हैं ?
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