नींद रातों को अब मुझे आती ही नहीं,
शायरी लबों में देकर, वो क्यूँ लोरियाँ छीन लेता है।
रंज है खुदा से मुझको, पुछूँगा कयामत पे
दुपट्टा हाथ में देकर, वो क्यूँ आँचल छीन लेता है॥
शायरी लबों में देकर, वो क्यूँ लोरियाँ छीन लेता है।
रंज है खुदा से मुझको, पुछूँगा कयामत पे
दुपट्टा हाथ में देकर, वो क्यूँ आँचल छीन लेता है॥